पाठ योजना प्रारूप (Lesson Plan Format in Hindi)
हेल्लो दोस्तों जब हम B.ed, D.el.ed., BSTC, BTC आदि अन्य नामों से जाना जाने वाला शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स (Teacher Training Course) कर रहे होते है तो इस दौरान हमे कई प्रकार की पाठ योजनाये (Lesson Plans) बनानी होती है | तो ऐसे में हमारे मन में तरह-तरह के सवाल आते है जैसे कि:-
- पाठ योजना क्या होती है?
- इसका प्रारूप कैसा होता है?
- पाठ योजना के गुण-दोष क्या क्या है?
- एक उत्तम और आदर्श पाठ योजना कैसे बनाते है?
- एक प्रभावी पाठ योजना की क्या क्या विशेषताए है?
- पाठ क्या-क्या उद्देश्य है?
आदि पाठ योजना (Lesson Plan) से जुड़े कई प्रकार के प्रश्न हमारे मन में आते है, लेकिन कम जानकारी के अभाव में हम एक अच्छी और आदर्श पाठ योजना नहीं बना पाते है | जो कि हमारे शिक्षण को प्रभावित भी करती है |
आपकी इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए हमने आज सभी सवालों के जवाब आपके साथं शेयर किये है | उम्मीद है पाठ योजना से सम्बन्धित यह जानकारी पसंद आएगी |
पाठ योजना क्या होती है?(What is Lesson Plan in Hindi?)
जब एक शिक्षक को कक्षा-कक्ष में शिक्षण करवाना होता है तो उसे शिक्षण से पूर्व अपने शिक्षण की एक रूपरेखा बनानी पड़ती है, जिसे हम पाठ योजना के रूप में जानते है | शिक्षक को सबसे पहले पुरे वर्ष एवं पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए वार्षिक पाठ योजना का निर्माण करना होता है, उसके बाद शिक्षक को इकाई योजना का निर्माण करना होता है, और जब शिक्षक इकाई योजना (Ikai Yojna/Unit Plan) का निर्माण कर लेता है तो उसे अंत में दैनिक पाठ योजना (Daily Lesson Plan) का निर्माण करना होता है जिसमे वो प्रतिदिन पढाई जाने वाली क्रियाविधि को एक क्रम में निर्धारित करता है एवं उसके अनुरूप ही शिक्षक कक्षा में शिक्षण करवाता है |
पाठ योजना की परिभाषाएं (Definition of Lesson Plan)
प्रशिक्षु/अध्यापक एक पाठ को पढ़ाने के लिए उसे कई छोटी-छोटी इकाईयों में बांट लेता है और एक इकाई की विषय-वस्तु को एक कालांश में पढ़ाता है। इस विषय वस्तु को पढ़ाने के लिए एक विस्तृत रूप रेखा तैयार करनी पड़ती है, जिसे दैनिक पाठ योजना (Daily Lesson Plan) कहा जाता है।
सिम्पसन:- “दैनिक पाठ योजना में शिक्षक अपनी विशेष सामग्री और छात्रों के बारे में जो कुछ भी जानता है उन बातों का प्रयोग सुव्यवस्थित ढंग से करता है।”
विनिंग और विनिंग:- “दैनिक पाठ योजना के निर्माण में उद्देश्य को परिभाषित करना पाठ्यवस्तु का चयन करना, उसे क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित करना और प्रस्तुतीकरण की विधियों की तथा प्रक्रिया का निर्धारण करना है।”
डेविस:- “कक्षा में जाने से पूर्व शिक्षक को पूरी तैयारी करनी चाहिए। क्योंकि प्रगति के लिए कोई बात इतनी बाधक नहीं है। जितनी की शिक्षक की अपूर्ण तैयारी।”
पाठ योजना प्रारूप (Lesson Plan Format in Hindi)
दैनिक पाठ योजना निम्न बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाती है-
1. सामान्य सूचना/श्यामपट्ट पूर्ति:-
इसमें पढ़ाये जाने वाले पाठ का शीर्षक, कक्षा, कलांश,अवधि,विषय, प्रकरण, दिनांक, आदि को शामिल किया जाता है। तथा साथ ही जिस विद्यालय में शिक्षण किया जाना है उसका नाम भी लिखा जाता है।
2. सामान्य उद्देश्य-
सामान्य उद्देश्य भिन्न-भिन्न विषय के आधार पर भिन्न-भिन्न निर्धारित किये जाते है | जैसे भाषा, रसायन विज्ञान, गणित, हिंदी, सामाजिक अध्ययन, आदि विषयों के सामान्य उद्देश्य भिन्न-भिन्न होते हैं।
3. विशिष्ट उद्देश्य-
जिस पाठ का हम शिक्षण करवाने जा रहे है उस पाठ से हम कौनसे उद्देश्य प्राप्त करेंगे जो कि सामान्य उद्देश्य से अलग होंगे उनका यहाँ उल्लेख किया जाता है। विशिष्ट उद्देश्य सामान्य उद्देश्यों पर आधारित होते हैं परंतु उद्देश्य प्रकरण से संबंधित होता है।
4. शिक्षण सहायक सामग्री-
शिक्षण कार्य में सहायता प्रदान करने सामग्रीयां, जैसे-श्वेत वर्तिका,श्यामपट,चार्ट, मॉडल इत्यादि।
5. पूर्वज्ञान-
इसमें बालक के पाठ से संबंधित पूर्व ज्ञान को जानने का प्रयास किया जाता है जिसकी आधार पर पाठ को प्रस्तावित करना है पूर्व ज्ञान के आधार पर पाठ का प्रारंभ होता है।
6. प्रस्तावना-
पूर्व ज्ञान के आधार पर शिक्षक प्रश्नों या चार्ट के द्वारा पाठ को प्रस्तावित करता है प्रस्तावना का अंतिम प्रश्न समस्यात्मक होता है।
7. प्रस्तुतिकरण-
पाठ योजना के इस भाग में विद्यार्थियों के सामने नवीन ज्ञान प्रस्तुत किया जाता है इसके लिए प्रस्तुत ज्ञान को दो भागों में विभक्त कर दिया जाता है एक भाग में अध्ययन स्थितियॉ एवं दूसरे भाग में अध्ययन बिंदु लिखते हैं । शिक्षक विभिन्न शिक्षण पद्धतियों, विभिन्न प्रविधियों, दृश्य-श्रव्य शिक्षण सहायक सामग्रियों का प्रयोग करता है। विषय वस्तु को उसकी व्यापकता के आधार पर एक या दो सोपानो में प्रस्तुत किया जा सकता है।
8. बोध प्रश्न-
शिक्षक पढाये गए पाठ में से प्रश्न पूछता है जो बोध प्रश्न कहलाते हैं।
9. श्यामपट्ट कार्य-
शिक्षक द्वारा पढाये गए पाठ, प्रयोग आदि के आधार पर निष्कर्ष निकलवाता है | अध्यापक को ऐसा प्रयास करना चाहिए कि बालक स्वयं ही निष्कर्ष निकाले, जब छात्र श्यामपट्ट सारांश की नकल करते हैं तथा शिक्षक कक्षा निरीक्षण करता है।
10. मूल्यांकन-
अध्यापक द्वारा पढ़ाये गए पाठ में से ऐसे प्रश्न पूछे जाते हैं जिससे यह ज्ञात होता है कि बालको ने कहा तक नवीन ज्ञान अर्जित किया है।
11. गृह कार्य-
पाठ के अंत में बालक को पाठ से संबंधित कुछ कार्य घर के लिए देना चाहिए, इसकी जांच अगले दिन की जानी चाहिए, इससे छात्र अर्जित ज्ञान का प्रयोग करना सीखते हैं।
यहाँ नीचे हम दैनिक पाठ योजना का प्रारूप (Daily Lesson Plan Format) आपसे सांझा कर रहे है आप इसके अनुरूप पाठ योजना तैयार कर सकते है |
पाठ योजना सं.-
दिनांक – विषय – चक्र –
कक्षा – प्रकरण – अवधि –
सामान्य उद्देश्य –
विशिष्ट उद्देश्य –
- ज्ञानात्मक –
- बोधात्मक –
- प्रयोगात्मक –
- कौशलात्मक –
सहायक सामग्री –
पूर्व ज्ञान –
प्रस्तावना –
क्रम संख्या | छात्र अध्यापक क्रिया | छात्र क्रिया |
1. | प्रश्न | उत्तर |
2. | प्रश्न | उत्तर |
3. | प्रश्न | उत्तर |
4. | प्रश्न | समस्यात्मक |
उद्देश्य कथन –
प्रस्तुतीकरण –
शिक्षण बिंदु | छात्र अध्यापक क्रिया | छात्र क्रिया | विधियाँ / युक्तियाँ | श्यामपट कार्य |
प्र. प्र. कथन/स्पष्टीकरण- | उ. उ. छात्र ध्यानपूर्वक सुनेंगे | |||
प्र. प्र. कथन/स्पष्टीकरण- | उ. उ. छात्र ध्यानपूर्वक सुनेंगे | |||
प्र. प्र. कथन/स्पष्टीकरण | उ. उ. छात्र ध्यानपूर्वक सुनेंगे | |||
प्र. प्र. कथन/स्पष्टीकरण | उ. उ. छात्र ध्यानपूर्वक सुनेंगे |
बोध प्रश्न –
1.
2.
3.
श्यामपट सारांश –
कक्षा कार्य एवं निरीक्षण –
पुनरावृत्ति प्रश्न –
गृहकार्य –
पाठ योजना बनाते समय ध्यान में रखे जाने वाले महत्वपूर्ण बिन्दु (Important Points to Keep in Mind While Making Lesson Plan)
शिक्षक कितनी कुशलता के साथ शिक्षण करा पाता है यह पाठ योजना के निर्माण पर निर्भर करता है अत: शिक्षक को दैनिक पाठ योजना का निर्माण करते समय निम्न बिन्दुओं का ध्यान रखना चाहिए-
1. पाठ योजना बनाने से पहले विद्यार्थियों की शारीरिक व मानसिक योग्यता व क्षमताओं को जान लेना चाहिए।
2. पाठ योजना निर्माण में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन करने की स्थिति में कुछ रिक्त स्थान होना चाहिए।
3. पाठ योजना बनाने से पहले पाठ का गहन ज्ञान होना चाहिए।
4. पाठ योजना बनाते समय कक्षा-स्तर का ध्यान अवश्य रखना चाहिए।
5. एक अच्छी पाठ योजना बनाने के लिए शिक्षक को अपने विषय की गहन जानकारी के साथ-साथ अन्य सभी विषयों का सामान्य ज्ञान भी होना चाहिए।
6. अगर प्रकरण एक दिन में पुरा नहीं हो सकता है तो प्रकरण को एक या अधिक सोपानों में विभाजित किया जाना चाहिए।
7. सोपानो हेतु उपयुक्त शिक्षण विधि या नीति का चयन करना चाहिए।
8. पाठ योजना में उद्देश्यों को सावधानीपूर्वक स्पष्ट रुप से लिखना चाहिए।
9. पाठ योजना का निर्माण करते समय शिक्षक को समय का पूरा-पूरा ध्यान रखना चाहिए।
10. पाठ योजना निर्माण के समय शिक्षक को शिक्षण सिद्धांतो, शिक्षण सूत्रों तथा शिक्षण विधियों का पूरा ज्ञान होना चाहिए।
11. पाठ के लिए आवश्यक सामग्री का निर्धारण तथा इसके प्रयोग को सुनिश्चित कर लेना चाहिए।
12. विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान की जानकारी शिक्षक को होनी चाहिए।
पाठ योजना के गुण (Advantage of Lesson Plan)
1. प्रत्येक पाठ योजना का निर्माण शिक्षण उद्देश्य, छात्रों की रुचियों, आवश्यकताओं के परिप्रेक्ष्य में रखकर किया जाता है। अतः प्रक्रिया बाल केन्द्रित एवं छात्रों के लिए रुचिकर होती है।
2. इससे पाठ को एक व्यवस्थित रूप मिलता है |
3. पाठ योजना शिक्षण को नीरस नहीं होने देती है |
4. शिक्षण एक पूर्व निर्धारित क्रम में चलता रहता है |
5. उद्देश्यों की प्राप्ति आसानी से हो जाती है |
6. यह समय बचाती है |
पाठ योजना के दोष (disadvantage of Lesson Plan)
1. पाठ योजना बनाना प्रत्येक अध्यापक के लिए सुगम नहीं है।
2. शिक्षण एक मशीन की तरह यंत्रवत चलता रहता है |
3. इस पद्धति से शिक्षण कार्य करने के लिए प्रशिक्षित शिक्षक की आवश्यकता होती है।
Hi mujhe lession plan banane me help chahiye Subject Chemistry
Dear Santosh,
Hum Aapki kya help kar sakte hain?